बहुत दिनों के बाद कुछ प्रस्तुत कर रहा हूँ, आशा करता हूँ आपको ये रचना पसंद आएगी.
चलो
उठो
फतह करो
हौसलें बुलंद कर
सीने को ज्वाला से भर
मार्ग तू प्रशस्त कर.
चलो,
उठो,
फतह करो.
चेहरे पर मुस्कान लिए
भीतर एक तूफ़ान भर
ज़ज्बे से विरोधी को परास्त कर.
चलो,
उठो,
फतह करो.
हौसलों के पंख खोल
औरों से ऊँची उड़न भर
हर चुनौती पार कर. पार कर.
चलो,
उठो,
फतह करो.
चापों से चट्टान हिले
नदियों की रफ़्तार थमे
रोम-रोम से ललकार कर.
चलो,
उठो,
फतह करो.
गरज़ बरस हुंकार भर
लक्ष्य पर प्रहार कर
रण को अपने नाम कर.
चलो,
उठो,
फतह करो.
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कविता: चलो उठो फतह करो
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कविता: चलो उठो फतह करो
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- jungle ki raani
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Re: कविता: चलो उठो फतह करो
Its a song! What did you write it for?
mein jungle ki raani, tumhari honey.
- jungle ki raani
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