मेट्रो महिला कोच : कोच एक, फायदे अनेक ।
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मेट्रो महिला कोच : कोच एक, फायदे अनेक ।
मेट्रो में अब रोज सफर होता है, जो हर रोज इंग्लिश के सफर में बदलता है । क्योंकि हर कोई एक ही मेट्रो में जाना चाहता है क्योंकि उसे सबसे पहले जाना है और ऑफिस में शायद बॉस की डांट से बचना है । इसमें पुरुष तो पुरुष महिलाएं भी पीछे नहीं है । वो भी भाग-भाग कर पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर मेट्रो पकड़ती है और फिर महिला सीट पर बैठे हुए किसी पुरुष को ढूंढती है जिसे वो बड़े प्यार से एक्सक्यूज मी कह कर, अपने लिए आरक्षित की गयी सीट पर बड़ी ही इत्मीनान से बैठ जाती है, और हम अर्थात पुरुषों को मन ही मन में ठेंगा दिखाते हुए बोलती होंगी ‘हें बड़े आये थे बैठ कर जाने वाले अब जाओ खड़े हो कर’ । ये कुछ ज्यादा तो नहीं हो गया खैर कोई नहीं । महिलाओं की टक्कर महिलाओं से ही है । मेट्रो ने भी बड़ी चतुराई से महिलाओं के लिए एक अलग कोच को लगा कर अपनी कमाई में भी इजाफा कर दिया ।
कमाई का अंदाजा मेट्रो ने पहले ही लगा लिया होगा, क्योंकि उनको पता है हम भारतीय कैसे हैं, हमें तांक-झांक करने की गम्भीर बीमारी ही नहीं बल्कि ये हमें विरासत में मिला है । तो उन्होंने साथ में कई तरह से दंड भी बना दिए जैसे महिलाओं के कोच में पुरुष दिखा तो समझो नपा अर्थात जुर्माना या सज़ा । और साथ में कई इसी तरह से कई नियम पर उनको ये नहीं पता था की भारतीय जुगाड़ भिड़ाने में, जुगाड़ शब्द सोचने वाले से भी ना जाने कितना आगे निकल गए हैं । उन्होंने इसके भी कई तोड़ निकाल लिए हैं । पूरी मेट्रो में सबसे रौनक वाला डब्बा होता है महिलाओं का कोच । यह कोच एक तरह से अब वरदान हो गया है और शायद अब कोई साधु या आज का युवा अगर तपस्या करेगा तो यही मांगेगा की मुझे एक साल तक महिला कोच में जाने का पास दे दो या मुझे महिला कोच का इंचार्ज बना दो ..या कुछ ऐसा ही ........
खैर लोग मेट्रो में महिला कोच से जुड्ने वाले डब्बे के साथ टेक ऐसे लगते हैं जैसे जब भी उम्मीद जगी उनका ही नंबर आयेगा । हर पुरुष की वो सबसे पसंद की जगह है, वह जगह एक सिनेमा हाल के बालकॉनी की तरह है जिससे सब कुछ साफ़ और पूरा कोच दिखता और आप सभी को और सब आपको देख सकते हैं । कुछ बाँकें छोरो का वो पक्का अड्डा है जिसके लिए वो कभी-कभी मारा मारी और जुर्माना देने तक को तैयार रहते हैं, पर खड़े वहीँ होना है बालकॉनी में । कुछ प्रेमी जोड़ों का भी वो अच्छा अड्डा है लड़की अपने कोच में और लड़का अपने कोच में, नियम का पूरी तरह से पालन करते हुए प्रेम के धागे में मोती पिरोते हैं । और उतरने से पहले पहन भी लेते हैं । और उनको देख कर बहुतों का दिल और ना जाने क्या क्या जलता है ।
कारण जो भी हो इससे महिलाओं का मेट्रो में जाना बढ़ा है तो पुरुषों की संख्या में भी बड़ी तेज़ी से बढ़ी है जो उनके पीछे-पीछे कंही भी जाने को तैयार हैं । अब देखना ये है की मेट्रो इसको कितना कैश कर पाता है या इसकी देखा देखी भारतीय रेलवे भी ऐसा ही प्रयास करता है क्या......
प्रयास कोई भी करे पर फायदा तो दोनों पक्ष को हुआ है और दोनों पक्ष मिल कर मेट्रो को मालामाल करने में लगे हुए हैं । मेट्रो में महिला कोच के चलने से ना जाने कितनों की फायदा हुआ है । और जब भी वो ठसाठस भरी हुई महिला कोच को देखते हैं तो बस देखते रहते हैं और फ्री में वरदान मांगने का सपना देखते हैं ।
कमाई का अंदाजा मेट्रो ने पहले ही लगा लिया होगा, क्योंकि उनको पता है हम भारतीय कैसे हैं, हमें तांक-झांक करने की गम्भीर बीमारी ही नहीं बल्कि ये हमें विरासत में मिला है । तो उन्होंने साथ में कई तरह से दंड भी बना दिए जैसे महिलाओं के कोच में पुरुष दिखा तो समझो नपा अर्थात जुर्माना या सज़ा । और साथ में कई इसी तरह से कई नियम पर उनको ये नहीं पता था की भारतीय जुगाड़ भिड़ाने में, जुगाड़ शब्द सोचने वाले से भी ना जाने कितना आगे निकल गए हैं । उन्होंने इसके भी कई तोड़ निकाल लिए हैं । पूरी मेट्रो में सबसे रौनक वाला डब्बा होता है महिलाओं का कोच । यह कोच एक तरह से अब वरदान हो गया है और शायद अब कोई साधु या आज का युवा अगर तपस्या करेगा तो यही मांगेगा की मुझे एक साल तक महिला कोच में जाने का पास दे दो या मुझे महिला कोच का इंचार्ज बना दो ..या कुछ ऐसा ही ........
खैर लोग मेट्रो में महिला कोच से जुड्ने वाले डब्बे के साथ टेक ऐसे लगते हैं जैसे जब भी उम्मीद जगी उनका ही नंबर आयेगा । हर पुरुष की वो सबसे पसंद की जगह है, वह जगह एक सिनेमा हाल के बालकॉनी की तरह है जिससे सब कुछ साफ़ और पूरा कोच दिखता और आप सभी को और सब आपको देख सकते हैं । कुछ बाँकें छोरो का वो पक्का अड्डा है जिसके लिए वो कभी-कभी मारा मारी और जुर्माना देने तक को तैयार रहते हैं, पर खड़े वहीँ होना है बालकॉनी में । कुछ प्रेमी जोड़ों का भी वो अच्छा अड्डा है लड़की अपने कोच में और लड़का अपने कोच में, नियम का पूरी तरह से पालन करते हुए प्रेम के धागे में मोती पिरोते हैं । और उतरने से पहले पहन भी लेते हैं । और उनको देख कर बहुतों का दिल और ना जाने क्या क्या जलता है ।
कारण जो भी हो इससे महिलाओं का मेट्रो में जाना बढ़ा है तो पुरुषों की संख्या में भी बड़ी तेज़ी से बढ़ी है जो उनके पीछे-पीछे कंही भी जाने को तैयार हैं । अब देखना ये है की मेट्रो इसको कितना कैश कर पाता है या इसकी देखा देखी भारतीय रेलवे भी ऐसा ही प्रयास करता है क्या......
प्रयास कोई भी करे पर फायदा तो दोनों पक्ष को हुआ है और दोनों पक्ष मिल कर मेट्रो को मालामाल करने में लगे हुए हैं । मेट्रो में महिला कोच के चलने से ना जाने कितनों की फायदा हुआ है । और जब भी वो ठसाठस भरी हुई महिला कोच को देखते हैं तो बस देखते रहते हैं और फ्री में वरदान मांगने का सपना देखते हैं ।
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- encyclomedia
- Site Admin
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- Joined: Fri Apr 07, 2006 2:27 pm
Re: मेट्रो महिला कोच : कोच एक, फायदे अनेक ।
fantastic observation of a slice of life. very true everyone wants to stand next to the ladies' bogey!
(also love the 9-2-11)
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I am not the admin anymore.
Re: मेट्रो महिला कोच : कोच एक, फायदे अनेक ।
good thoughts
-
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- Joined: Wed Mar 18, 2009 5:00 pm
Re: मेट्रो महिला कोच : कोच एक, फायदे अनेक ।
Csahab also seems a good observer of things at it's shows !!
Re: मेट्रो महिला कोच : कोच एक, फायदे अनेक ।
csahab is amazing with slice of life. he should write a book, I tell you
Kikikikikiki bleach-treated my avatar! Isn't she sweet?
- DesignBoyz
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- Joined: Thu May 11, 2006 8:42 pm
- Location: Rome, Italy
Re: मेट्रो महिला कोच : कोच एक, फायदे अनेक ।
beautifully crafted Hindi! So rare these days! thank you CSahab!
DesignBoyz come,
Others go !
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Re: मेट्रो महिला कोच : कोच एक, फायदे अनेक ।
i know what you mean. when I am in a bus or train, I see everyone is looking at me. when I was younger I would be very conscious, but now I am used to it...
Re: मेट्रो महिला कोच : कोच एक, फायदे अनेक ।
hahaha... I have felt that too, Priyanka
Re: मेट्रो महिला कोच : कोच एक, फायदे अनेक ।
most of girls feel same..Hope kabhi ye sab khatm hoga...vicharon ke sath dimag bhi swatrantra banega
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- basant kumar
- Posts: 457
- Joined: Wed Sep 23, 2009 6:07 am
Re: मेट्रो महिला कोच : कोच एक, फायदे अनेक ।
but I think most girls enjoy the attention they get? No?